मंत्राक्षर धातु या अनुक्रमण घटक मंत्राक्षर वर्ण का एक चित्रमय घटक है जिसके अंतर्गत वर्ण को मंत्राक्षर शब्दकोश में सूचीबद्ध किया जाता है। यह घटक अक्सर रूपिम (morpheme) के समान एक सिमेंटिक संकेतक होता है, हालांकि कभी-कभी यह एक ध्वन्यात्मक घटक या चरित्र का कृत्रिम रूप से निकाला गया हिस्सा भी हो सकता है।
चिन्ह के अंदर स्थान
धातु मंत्रक्षर के चिन्ह में ऊपर , नीचे , दाएं , बाएं , ऊपर से बाएं , नीचे से बाएं , ऊपर से दाएं , नीचे से दाएं और परिवृत या सीमित करके दर्शाए जा सकते हैं ।
मंत्रक्षर मात्राएं
जिस प्रकार हम हिंदी या संस्कृत में मात्राओं का उपयोग स्वर को लिखने के लिए करते हैं उसी प्रकार हम इन धातुओं के मात्राओं का उपयोग नए भावचित्र बनाने के लिए कर सकते हैं । मंत्राक्षर मात्राएँ को कई प्रकार से विभाजित किया जा सकता हैं जैसे मात्रा कि संख्या पर आधारित एक मात्रा , दो मात्रा , तीन मात्रा , चार मात्रा , पाँच मात्रा आदि | जिन मात्रा को हम कोइ भी नाम नहीं दे सकते हैं उन मात्राओ को हम अनामिका मात्राएँ कहते हैं | जो मात्राओ का अर्थ या नाम होता हैं उन्हे हम धातु कहते हैं और इनकी मात्राओं को धातु कि मात्राएँ कहते हैं |
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