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शब्द

वर्णों या अक्षरों से बना ऐसा स्वतंत्र समूह जिसका कोई अर्थ हो, वह समूह शब्द कहलाता है। जैसे: लड़का, लड़की आदि।

*II. Those particular sounds or Characters, which are agreed upon to signifie any one thing or notion, are called by the general name of WORD, Verbal, verbatim, term, endite.

That which is intended by any such sound or Character, is called MEAN∣ING, Sense, Signification, Purport, Acception, Import, tenor, denote, moral

Words may be distinguished according to the

General name; given to the chief kinds of them, whether ‖ the more Principal such as signifie some intire thing or notion, or the Less Princi∣pal, such as consignifie and serve to circumstantiate other words with which they are joyned.

  • अभिन्न .
  • transcendental .
  • अभिन्न ( integral)
    • Natures; being either more
      • Absolute; denoting either ‖ the naked Essence of a thing, or the Ens and thing it self.
      • Relative; to the
        • Names of things; whether such as signifie more simply and of them∣selves, or such whose signification doth import their being ad∣joyned to something else.
          • वस्तु-संबंधी , विशेष्य
        • Actions or Passions of things; (which is here taken notice of in compliance with instituted Grammar, tho it be not properly one simple part of speech, but rather a mixture of two, namely the Predicate and Copula.) To which may be annexed that which is commonly adjoyned unto this, to signifie the Quality or affe∣ction of the Action or Passion.
    • Place and Order in a proposition, whether that which according to natural construction doth precede the Copula, or that which doth follow it.
  • transcendental
    • Most necessary and essential to every proposition.
      • COPULA.
    • Less necessary;

परिभाषा- एक या अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि शब्द कहलाता है।

  • शब्द विचार या शब्द भेद
    • अर्थ के आधार पर शब्द के भेद
    • रचना (बनावट) के आधार पर शब्द के भेद
    • प्रयोग के आधार पर शब्द के भेद
    • उत्पत्ति के आधार पर शब्द के भेद ( source of a word being )
      • word source , etymology ( निरुक्त , व्युत्पत्तिशास्त्र ) , source and target language
    • उच्चारण के आधार पर
    • अर्थ और स्वर तुलात्मक शब्द ( phonosemantic matching )
      • नवनिर्मित प्रयोग या नीओलॉजिज्म (Neologism)
    • cognates
  • शब्दांश ( अर्थ परिवर्तक )
    • अर्थ के आधार पर सबसे छोटा अंश
    • उच्चारण के आधार पर
      • स्वनिम (phoneme) उच्चारित ध्वनि की सबसे छोटी ईकाई है।
    • मूल शब्द ( root word or root )
  • शब्द रचना
  • शब्द क्रम , वाक्य विन्यास
  • शब्द विधि

वे शब्द जिनसे कोई अर्थ निकलता हो, सार्थक शब्द कहलाते हैं। जैसे: गुलाब, आदमी, विषय आदि।

वे शब्द जिनका कोई अर्थ ना निकल रहा हो या जो शब्द अर्थहीन हो, निरर्थक शब्द कहलाते हैं। जैसे: देना-वेना, मुक्का-वुक्का आदि।

ऐसे शब्द जो किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं लेकिन अगर उनके टुकड़े कर दिए जाएँ तो निरर्थक हो जाते हैं। ऐसे शब्दों को रूढ़ शब्द कहते हैं। जैसे: जल, कल, जप आदि।

ऐसे शब्द जो किन्हीं दो सार्थक शब्दों के मेल से बनते हों वे शब्द यौगिक शब्द कहलाते हैं। इन शब्दों के खंड भी सार्थक होते हैं। जैसे: स्वदेश : स्व + देश, देवालय : देव + आलय, कुपुत्र : कु + पुत्र आदि।

ऐसे शब्द जो किन्हीं डो शब्द के योग से बने हों एवं बनने पर किसी विशेष अर्थ का बोध कराते हैं, वे शब्द योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं। जैसे: दशानन : दस मुख वाला अर्थात रावण , पंकज : कीचड़ में उत्पन्न होने वाला अर्थात कमल आदि।

  • बहुव्रीहि समास ऐसे शब्दों के अंतर्गत आते हैं।

ऐसे शब्द जिनके रूप में लिंग, वचन, कारक के अनुसार परिवर्तन होते हैं, वे शब्द विकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे:

  • लिंग : बच्चा पढता है। —> बच्ची पढ़ती है।
  • वचन : बच्चा सोता है। —–> बच्चे सोते हैं।
  • कारक : बच्चा सोता है। —> बच्चे को सोने दो।

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं बच्चा शब्द है यह लिंग, वचन एवं कारक के अनुसार परिवर्तित हो रहा है। अतः यह विकारी शब्दों के अंतर्गत आएगा।

ऐसे शब्द जिन पर लिंग, वचन एवं कारक आदि से कोई फर्क नहीं पड़ता एवं जो अपरिवर्तित रहते हैं। ऐसे शब्द अविकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे: तथा, धीरे, किन्तु, परन्तु, तेज़, अधिक आदि।

जैसा कि हम जानते हैं किन्तु जैसे शब्द लिंग, वचन कारक आदि बदलने पर भी अपरिवर्तित रहेंगे। अतः ये उदाहरण अविकारी शब्दों के अंतर्गत आयेंगे।

तत् (उसके) + सम (समान) यानी ऐसे शब्द जिनकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा में हुई ओर वे हिन्दी भाषा में बिना किसी परिवर्तन के प्रयोग में आने लगे, ऐसे शब्द तत्सम शब्द कहलाते हैं। जैसे: पुष्प, पुस्तक, पृथ्वी, क्षेत्र, कार्य, मृत्यु, कवि, माता, विद्या, नदी, फल, अग्नि, पुस्तक आदि।

ऐसे शब्द जिनकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई थी लेकिन वो रूप बदलकर हिन्दी में आ गए हों, ऐसे शब्द तद्भव शब्द कहलायेंगे। जैसे:

  • दुग्ध —→ दूध
  • अग्नि —→ आग
  • कार्य —> काम
  • कर्पूर —> कपूर
  • हस्त —→ हाथ

ऐसे शब्द जो भारत की विभिन्न स्थानीय बोलियों में से हिंदी में आ गए हैं, वे शब्द देशज शब्द कहलाते हैं। जैसे: पेट, डिबिया, लोटा, पगड़ी, थैला, इडली, डोसा, समोसा, चमचम, गुलाबजामुन, लड्डु, खटखटाना, खिचड़ी आदि।

ऊपर दिए गए सभी उदाहरण भारत की ही विभिन्न स्थानीय बोलियों में से क्षेत्रीय प्रभाव के कारण परिस्थिति व आवश्यकतानुसार बनकर प्रचलित हो गए हैं। ये अब हिन्दी में आ गए हैं। अतः यह शब्द देशज शब्द कहलायेंगे।

ऐसे शब्द जो भारत से बाहर की भाषाओं से हैं लेकिन ज्यों के त्यों हिन्दी में प्रयुक्त हो गए, वे शब्द विदेशी शब्द कहलाते हैं। मुख्यतः यह विदेशी जातियों से हमारे बढ़ते मिलन से हुआ है। ये विदेशी शब्द उर्दू, अरबी, फारसी,अंग्रेजी, पुर्तगाली, तुर्की, फ्रांसीसी, ग्रीक आदि भाषाओं से आए हैं।

विदेशी शब्दों के उदाहरण निम्न हैं :

  • व्याकरण (grammar)
  • उपमान
  • कोश (dictionary)
  • आप्त वाक्य
  • वृद्ध व्यवहार / लोक व्यवहार (behaviour)
  • वाक्य शेष
  • विवृत्ति
  • सिद्ध पद सान्निध्य
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  • 2024/07/21 07:29
  • brahmantra